हमें परखने का तरीका
हमें परखने का तरीका नहीं है।
कोई वर्ना दुश्मन किसी का नहीं है॥
जो है नूर मुझमें वही औरों में है,
यह दर असल हमने सीखा नहीं है॥
तेरी ही जुबाँ पर है नफरत के छाले,
यह उल्फत का गुड़ वर्ना फीका नहीं है॥
जिसे सुनते ही दूसरा तिल- मिलाये,
यह कुछ गुफ्तगू का सलीका नहीं है॥
हो दुश्मन अगर दोस्त से ज्यादा,
कोई लुफ्त फिर जि़न्दगी का नहीं है॥
तू क्यों बाँधता है राही लम्बे दावे,
भरोसा तेरा इक घड़ी का नहीं है॥