गीत माला भाग १६

हम युग सन्देश सुनाते हैं

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हम युग सन्देश सुनाते हैं
हम युग सन्देश सुनाते हैं, युग ऋषि की बात बताते हैं।
ओ! हिम्मत वालों, आओ रे, अपना युगधर्म निभाओ रे॥
देखो मानवता रोती है, साहस अब अपना खोती है।
है दर्द तो आगे, आ जाओ, कुछ ढाढस उसे बंधा जाओ॥
अब तक तो हुई निराशा है, कुछ इन्सानों से आशा है।
यदि उसकी आशा टूटेगी, मानव की किस्मत फूटेगी॥
अब सावधान हो जाओ रे, खुद जागो और जगाओ रे॥
मौके पर कायर छिपते हैं, दिलवाले आगे आते हैं॥
जब जब अधर्म बढ़ जाता है, धरती माता अकुलाती है।
तो संतजनों की रक्षा को, अवतार चेतना आती है॥
ऋषि उसका मर्म बताते हैं, सबको युगधर्म सिखाते हैं।
जो साथ निभाते हैं उनका, जीवन का फल पा जाते हैं॥
जो समझ सको आ जाओ रे, यह मौका नहीं गँवाओ रे॥
जिनने पहचाना अवसर को, वे उछल उछल कर आते हैं॥
यह युग परिवर्तन वेला है, प्रभु ने अनुदान उड़ेला है।
यह समय न फिर फिर आयेगा, जो जागेगा सो पायेगा॥
जिनको मानवता प्यारी है, उनने कर ली तैयारी है।
फिर देवासुर संग्राम छिड़ा, युग सैनिक भर्ती जारी है॥
अपना भी नाम लिखाओ रे, संशय में मत रह जाओ रे॥
निष्ठा वाले पा जाते हैं, बाकी पीछे पछताते हैं॥
कुछ अपना स्वयं सुधार करो, परिवारों में संस्कार भरो।
रच लो समाज सहकार भरा, मानवता का उद्धार करो॥
प्रभु से कर लो साझेदारी, अध्यात्म मार्ग अपनालो रे।
बाधक से साधक बन जाओ, भरपूर सिद्धियाँ पालो रे॥
परमार्थ मार्ग अपनालो रे, जीवन को धन्य बना लो रे।
जो भी युगधर्म निभाते हैं, वे परम लाभ पा जाते हैं॥
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