संस्कार शुभ अन्नप्राशन
संस्कार शुभ अन्नप्राशन का यह, संदेश सुनाता है।
जैसा खाते अन्न हमारा, मन वैसा बन जाता है॥
प्रथम बार जब अभिमंत्रित कर, शिशु को खीर चटाते हैं।
खिल उठता मानस शिशु का, शुभ संस्कार मिल जाते हैं॥
तुलसी दल के मिश्रण से तन- मन सुन्दर बन जाता है॥
मिलता अगर आहार सात्विक, संतोष गुणी बालक होते हैं।
अगर तामसी भोजन मिलता, निज कर्मों पर रोते हैं॥
शाकाहार सुपाच्य कर, आयुर्वेद बन जाता है॥
वातावरण यज्ञमय शिशु के, भाव शुद्ध कर देता है।
यज्ञदेव के अनुदानों से, शिशु का झोली भरता है॥
सत्कर्मों की सत्प्रेरणा से, जीवन भी खिल जाता है॥