जन्म दिन है हमने मनाया
जन्म दिन है हमने मनाया, शान्तिकुञ्ज से आशीष आया।
गुरुवर की महिमा है निराली, माँ भर देती झोली खाली।
दूर कर देते गुरु अंधियारा, माँ देती आंचल का सहारा॥
तुमने दीपयज्ञ करवाया, शान्तिकुञ्ज से आशीष आया।।
जीवन में तुम सदा मुस्कुराना, परहित में ही समय बिताना।
दीन दुखियों की सेवा करना, परमारथ में आगे बढ़ाना॥
सबने आज पुष्प बरसाया, शान्तिकुञ्ज से आशीष आया।।
माता- पिता की सेवा करना, कभी किसी से द्वेष न करना।
सेवा ही हो धर्म हमारा, सत्य मार्ग पर चलते रहना॥
ऋषियों ने हमें यही सिखाया, शान्तिकुञ्ज से आशीष आया।।
जीवन तुम्हारा बने सदाचारी, कभी न सताये भय लाचारी।
सदा तेरी होवे जय- जयकार, जियो तुम भी बरस हजार॥
हो गुरुवर की कृपा छाया, शान्तिकुञ्ज से आशीष आया।।
संगीत से कठोर मन भी द्रवित हो जाता है।
- वाङमय