नम है आँखें आज याद में
नम है आँखें आज याद में, कैसे तुम्हें पुकारें।
दिव्य लोकवासी हैं गुरुवर, तुमको कहाँ निहारें॥
ढूँढ़ रहे हैं स्नेह तुम्हारा, कहीं नहीं मिलता है।
मधुर स्नेह का दिव्य कमल दल, कहीं नहीं खिलता है॥
आज बिलख कर गुरुवर तुमको, कैसे टेर लगायें॥
दुःख कष्टों के क्षण में गुरुवर, दौड़ दौड़कर आते।
घावों में भावों का मरहम, हम तुमको ही पाते॥
किन शब्दों में आर्तभाव से, तुमको कहाँ पुकारें॥
पिता हमारे प्राण हमारे, हे गुरुवर उद्वारो।
सुनलो करुण पुकार हमारी, हम भक्तों को तारो॥
दरश दिखा दो बंद नयन में, गुरुवर तुमको ध्यायें॥
शपथ आज है संकल्पों को, पूरा सदा करेंगे।
याद तुम्हारी करते- करते, हम नित चरण धरेंगे॥
आज काँपने कर से कैसे, श्रद्धा सुमन चढ़ायें॥