गीत माला भाग ९

नशा नसावै तन मन

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नशा नसावै तन मन
नशा नसावै तन मन धन को, मत चक्कर में आना जी।
भाँग तम्बाकू गांजा सुलफा, मदिरा मुँह न लगाना जी॥
आदत बुरी बुरे व्यसनों में, पैसा खर्च कराती।
होश भुलाये करे बेहोशी, पागल हमें बनाती॥
गली सड़क पर शिवगण जैसा, भौंड़ा नाच नचाती।
भले आदमी संग छोड़ दे, जग में हँसी कराती॥
सब घर को चिन्ता छा जाती, छूटे कृत्य अपनाना जी॥
विष का पौधा तम्बाकू, हम जिसका धुआँ उड़ाते।
मौनाक्साइड निकोटीन, विष पाये जाते॥
खाँसी दम मधुमेह सरीखे, रोग हैं ये पनपाते।
दुखद प्रदूषण दें जग को, क्या बुद्धिमान कहलाते॥
आमन्त्रण दे रोग बुलाते, छोड़ो ये बचकाना जी॥
समझदार कहलाने वालों, ना समझी को छोड़ो।
बतलाता विज्ञान हानिकर, इससे नाता तोड़ो॥
समय आ गया उठो जागृतों, चला समय की मोड़ो।
दुर्व्यसनों को दूर भगा, रूढ़ियों का भण्डा फोड़ो॥
आदर्शों से रिश्ता जोड़ो, जीवन सफल बनाना जी॥
व्रत लो अपनी धरती को हम, फिर से स्वर्ग बनायेंगे।
गंदा धुआँ उड़ाना छोड़ें, पावन यज्ञ रचायेंगे॥
घर- घर नगर- नगर हम जाकर, सद्विचार फैलायेंगे।
अपनी प्यारी देव संस्कृति, आओ पुनः सजायेंगे॥
हरिराम संग मिलकर गायें, युग का नया तराना जी॥
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