प्रेमी भर तू प्रेम में
प्रेमी भर तू प्रेम में, भगवान के गुण गाया कर।
मन मंदिर में गाफिल, तू झाड़ू रोज लगाया कर॥
सोने में तो रात गुजारी, दिन भर करता पाप रहा।
इसी तरह बरबाद तू बन्दे, करता अपने आप रहा।
प्रातः समय उठ ध्यान से, सत्संग में तू जाया कर॥
नरतन के चोले को पाना, बच्चों का कोई खेल नहीं।
जनम- जनम के शुभ कर्मों का, होता जब तक मेल नहीं।
नरतन पाने के लिए, तू उत्तम कर्म कमाया कर॥
पास तेरे है दुखिया कोई, तूने मौज उड़ाई क्या।
भूखा प्यासा पड़ा पड़ोसी, तूने रोटी खाई क्या।
पहले सबसे पूछकर, भोजन को तू खाया कर॥
देख दया उस परमेश्वर की, वेदों का जिसने ज्ञान दिया।
देख तू मन में सोच जरा तो, कितना है कल्याण किया।
दुष्कर्मों को छोड़कर, ईश्वर नाम ध्याया कर॥