युवा आंदोलन के उद्देश्य
१.
युवाओं के प्रखर व्यक्तित्व
निर्माण हेतु "साधना-प्रधान
"
जीवन
शैली।
२.
नैतिक,
बौद्धिक
एवं सांस्कृतिक विकास हेतु
"स्वाध्याय"
की
नियमितता।
३.
समाज एवं राष्ट्र के लिए उपयोगी
बनने हेतु "सेवा"
भावना
का विकास।
४.
स्वावलंबी स्वाभिमानी जीवन
हेतु "संयम"
द्वारा
पुरुषार्थ क्षमता का विकास।
५.
रचनात्मक योगदान हेतु"
साधना,
शिक्षा,
स्वास्थ्य,
स्वावलंबन,
पर्यावरण,
नारी
जागरण,
व्यसनमुक्ति
एवं कुरीति उन्मूल्न आन्दोलन।
युवा
आंदोलन के चार सूत्र
१.
स्वस्थ युवा-सशक्त
राष्ट्र
शारीरिक,
मानसिक,
सामाजिक
एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य
के प्रति युवाओं को जागरुक
एवं प्रयत्नशील बनाना।
युवकों
में
योग,
आत्म
प्रबंधन द्वारा उत्कृष्ट
जीवन शौली का विकास।
युवा
शक्ति को व्यसन से बचाकर सृजन
में लगाना ।
२.
शालीन युवा-श्रेष्ठ
राष्ट्र
युवाओं
को भोगवादी अपसंस्कृति के
दुष्प्रभावों से बचाकर
अपनीगौरवमयी सांस्कृति विरासत
से परिचित कराना।
विन्रमता,
सहकारिता,
श्रमशीलता
एवं अनुशासन जैसे सद्गुणों
के विकास द्वारा सभ्य,
सुसंस्कृत
एवं शालीन युवा तैयार करना।
३.
स्वावलंबी युवा-
संपन्न
राष्ट्र
स्वावलंबी
से स्वाभिमान का जागरण।
बेकारी
एवं बेरोजगारी से मुक्ति।
समग्र
स्वावलंबन,
(सांस्कृतिक
और आर्थिक)
के
माध्यम से आत्मनिर्भरत।
श्रम
के प्रति सम्मान का जागरण।
४.
सेवाभावी युवा-सुखी
राष्ट्र
युवाओं
में संवेदना,
सेवाभाव,
और
ततसंबंधी कौशल का विकास करना।
युवाओं
के श्रम,
समय,
साधन
एवं प्रतिभा का
रचनात्मक
कार्यों में नियोजन ।
हमारी
युवा गतिविधियाँ
१.
युवाओं को संगठित करना (ग्राम,
विकासखंड,
जिलास्तरीय
संगठन)
२.
स्कूल काँलेजों में युवा
गोष्ठी का आयोजन एवं DIYA
आंदोलन
का विस्तार
३.
व्यक्तित्व विकास व स्वावलंबन
के शिविर
४.
आपदा प्रबंध वाहिनी का गठन
५.
व्यसन मुक्ति कार्यक्रम
६.
ध्यान,
योग,
व्यायाम
युवा आंदोलन के
उद्देश्य१. युवाओं के प्रखर व्यक्तित्व निर्माण हेतु "साधना-प्रधान " जीवन शैली।
२. नैतिक, बौद्धिक एवं सांस्कृतिक विकास हेतु "स्वाध्याय" की नियमितता।
३. समाज एवं राष्ट्र के लिए उपयोगी बनने हेतु "सेवा" भावना का विकास।
४. स्वावलंबी स्वाभिमानी जीवन हेतु "संयम" द्वारा पुरुषार्थ क्षमता का विकास।
५. रचनात्मक योगदान हेतु" साधना, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, पर्यावरण, नारी जागरण, व्यसनमुक्ति
एवं कुरीति उन्मूल्न आन्दोलन।
युवा आंदोलन के चार सूत्र
१. स्वस्थ युवा-सशक्त राष्ट्र
शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य के प्रति युवाओं को जागरुक एवं प्रयत्नशील बनाना।
युवकों में
योग, आत्म प्रबंधन द्वारा उत्कृष्ट जीवन शौली का विकास।
युवा शक्ति को व्यसन से बचाकर सृजन में लगाना ।
२. शालीन युवा-श्रेष्ठ राष्ट्र
युवाओं को भोगवादी अपसंस्कृति के दुष्प्रभावों से बचाकर अपनीगौरवमयी सांस्कृति विरासत से परिचित कराना।
विन्रमता,
सहकारिता, श्रमशीलता एवं अनुशासन जैसे सद्गुणों के विकास द्वारा सभ्य, सुसंस्कृत एवं शालीन युवा तैयार करना।
३. स्वावलंबी युवा- संपन्न राष्ट्र
स्वावलंबी से स्वाभिमान का जागरण।
बेकारी एवं बेरोजगारी से मुक्ति।
समग्र स्वावलंबन, (सांस्कृतिक और आर्थिक)
के माध्यम से आत्मनिर्भरत।
श्रम के प्रति सम्मान का जागरण।
४. सेवाभावी युवा-सुखी राष्ट्र
युवाओं में संवेदना, सेवाभाव, और ततसंबंधी कौशल का विकास करना।
युवाओं के श्रम, समय, साधन एवं प्रतिभा का
रचनात्मक कार्यों में नियोजन ।
हमारी युवा गतिविधियाँ
१. युवाओं को संगठित करना (ग्राम, विकासखंड, जिलास्तरीय संगठन)
२. स्कूल काँलेजों में युवा गोष्ठी का आयोजन एवं DIYA आंदोलन का विस्तार
३. व्यक्तित्व विकास व स्वावलंबन के शिविर
४. आपदा प्रबंध वाहिनी का गठन
५. वृक्ष गंगा अभियान-पर्यावरण
संरक्षण
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