मनन

मध्याह्न में अपनी स्थिति का विवेचन - मनन

प्रज्ञायोग साधना का चौथा चरण है- मनन यह मध्याह्नोत्तर कभी भी, कहीं भी किया जा सकता है। समय पन्द्रह मिनट हो, तो भी काम चल जायेगा। इसमें अपनी वर्तमान स्थिति की समीक्षा की जाती है और आदर्शों के मापदण्ड से जाँच- पड़ताल करने पर जो कमी प्रतीत हो, उसे पूरा करने की योजना बनानी पड़ती है। यही मनन है।

इसके लिये एकान्त स्थान ढूँढ़ना चाहिये। आँखें बन्द करके अन्तर्मुखी होना और आत्मसत्ता के सम्बन्ध में परिमार्जन परिष्कार की उभयपक्षीय योजना बनानी चाहिये। इसमें आज के दिन को प्रधान माना जाये। प्रात: से मध्याह्न तक जो सोचा और किया गया हो, उसे आदर्शों के मापदण्ड से जाँचना चाहिये और उस समय से लेकर सोते समय तक जो कुछ करना हो उसकी भावनात्मक योजना बनानी चाहिये, ताकि दिन के पूर्वार्द्ध की तुलना में उत्तरार्द्ध और भी अच्छा बन पड़े।

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