यज्ञ का विज्ञान


यज्ञ का वैज्ञानिक आधार

यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन

मानव यज्ञ के द्वारा ही देव अपने यज्ञ का अनुष्ठान यथावत् कर पाते हैं । वे सर्वश्रेष्ठ धर्म है, ये अद्वितीय है, उत्तम है, इसकी तुलना अन्य किसी से नहीं की जा सकती ।

अग्नौ प्रस्ताहुतिः सम्यगादित्यमुपतिष्ठते ।
आदित्याज्ज्यते वृष्टिवर्ृष्टेरन्नं ततः प्रजाः॥


अग्नि में डाली हुई आहुति सूर्य की किरणों में उपस्थित होती है । उसके संसर्ग में अन्तरिक्ष में इस प्रकार का वातावरण निर्मित हो जाता है, जिससे मेघों का संग्रह होने लगता है, वे समय पाकर पृथ्वी पर बरसते हैं, उस पर वृष्टि से यहाँ औषधि, वनस्पति, लता, फल, फूल आदि विविध खाद्य पदार्थ न केवल मानव के, अपितु प्राणिमात्र के लिए उत्पन्न हो जाते हैं ।औषधि, वनस्पति, लता, फूल, फल, आदि खाद्यों में विविध प्रकार की जीवन शक्तियाँ (खाद्योज) रहती हैं, जो फलादि का उपभोग करने से प्राणियों को जीवन प्रदान करती हैं । वे जीवन शक्तियाँ इनमें अग्नि, वायु, सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, जल आदि के प्रभाव से ही उत्पन्न हो पाती हैं ।

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